स्पर्श कोण (Angle of Contact) Xx x जब किसी इय का मुक्त पृष्ठ किसी ठोरा के स्पर्श में आता है तो स्मर्श बिन्दु पर द्रव का मुक्त पृष्ठ व...
स्पर्श कोण (Angle of Contact)
जब किसी इय का मुक्त पृष्ठ किसी ठोरा के स्पर्श में आता है
तो स्मर्श बिन्दु पर द्रव का मुक्त पृष्ठ वक्राकार हो जाता है।
इस स्थिति में द्रय में तूये हुए टोस के चृष्ठ तथा स्पर्श बिन्दु पर दरब के पूक्ष पर ख गरयी स्पर्श रेस्षा के म य बनने वाला कोण उस द्रव व ठोस युग्मके लिए स्पर्श कोण कहलाता है।
भह स्पर्श कोण सदैव इय के अन्दर बनता है
एवं द्रव डोस की प्रवाति मर निर्भर करता है।
इसका कारम दव के पृष्ठ तनाव का गुधा है।
स्पर्श कोण क सन से 180 के मम्म होता ताप के बहाने पर सार्श कोण के भान में कनी होती ह।
ऐसे इज जो कि ठोस को मिगाते हो वनके लिए र्पर्श कोण का मान 90 से कम यनता है
अर्थातु स्पर्श कोण. न्यूत कोण होता है। जेसे- साधारण कांच, साधारण जल के लिए स्पर्श कॉण का मान 8 कौता है।
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शु जात । राक कांच के लिए रपर्श कोण का मान 0: होता है।
ऐोसे द्रव जो कि भिगोते हो, उनके लिए स्पर्श कोण का मान 90° से अधिक होता है
अर्थात्स्पर्श कोण अ कोण डोता है।
जैसे कांच व परें ले लिए स्पर्श कोण का मान 135° होता है।
चादी ज पाती के लिए स्पर्श कोण का मान 97° होता है।
यही कारण है कि चांदी।के पात्र में किना पर भी जल का तल कतिज रहता है।
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द्रव के पृष्ठ की आकृति (Shape of Liquid Surface)-
जब कोई द्रव किसी ठोस के सम्पर्क में आता है
तो स्पर्श तल के समीप द्रव का पृष्ठ वक्रीय हो जाता है
या वक्रता द्रव व ठोस की प्रकृति पर निर्भर करती है।
जिसकी व्याख्या द्रव व ठोस के अणुओं के मध्य लगने वाले आसंजक बल तथा द्रव अणुओं के मध्य लगने वाले वाले ससंजक बल के आधार पर की जा सकती है।
यदि आसंजक बल का मान ससंजक बल के मान से अधिक हो तोद्रव का पृष्ठ अवतलीय व कम हो तो उत्तलीय होता है।
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एसे द्रव जो कि ठोस को भिगोते हों तो उनमें ठोस व द्रव के अणुओं के मध्य कार्यरत होती आसजक बल द्रव अणुओं के मध्य कार्यरत आसंजक बल से अधिक होता है
अर्थात् स्पर्श कोण 90° से कम होता है अत: ऐसे ठोस पदार्थों के सम्पर्क में जब कोई द्रव आता है
तो स्पर्श तल के समीप द्रव का पृष्ठ अवतलीय हो जाता है।
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