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किरचॉफ का नियम in Hindi

 किरचाफ का नियम (KinRCHHOFF's LAw) Xx x इस नियम के अनुसार किसी भी नियत ताप पर पिण्ड की स्पेक्ट्रमी उत्सर्जन क्षमता(e.), एकवर्णी अवशोष...

 किरचाफ का नियम (KinRCHHOFF's LAw)


Xx x

इस नियम के अनुसार किसी भी नियत ताप पर पिण्ड की स्पेक्ट्रमी उत्सर्जन क्षमता(e.), एकवर्णी अवशोषण क्षमता (a,) के समानुपाती होती है अर्थात्


e x a,


अर्थात् किसी भी नियत ताप पर किसी भी पिण्ड के लिए e, व a, का अनुपात नियत

Xx x

रहता है जो कि उसी ताप पर कृष्ण पिण्ड की स्पेक्ट्रमी उत्सर्जन क्षमता E, के तुल्य होताहै अर्थात्


  E, = नियत


जिसका आशय यह है कि अच्छे अवशोषक, अच्छे उत्सर्जक भी होते हैं।

Xx x

किरचॉफ के नियम से सम्बन्धित व्यावहारिक उदाहरण निम्नलिखित से हैं

1 यदि चीनी मिट्टी के चित्रित टुकड़े को उच्च ताप पर गर्म करके अंधेरे कमरे में ले जाएं तो इसका चित्रित भाग अधिक चमकीला दिखाई पड़ता है


 क्योंकि यह चित्रित भाग अधिक मात्रा में ऊष्मा अवशोषित करता है। 


चूंकि अच्छे अवशोषक अच्छे उत्सर्जक

होते हैं। अत: अंधेरे कमरे में ले जाने पर यह चित्रित भाग अधिक मात्रा में ऊष्मा उत्सर्जित करता है।

Xx x

2 यदि लाल कांच के टुकड़े को गर्म करके अंधेरे कमरे में ले जाया जाए तो वह हरा दिखायी पड़ता है 


क्योंकि लाल व हरा रंग एक-दूसरे के पूरक हैं।


अत: जब लाल कांच के टुकड़े को गर्म किया जाता है 


तो इसके द्वारा हरे रंग के विकिरण का अवशोषण अधिक होता है।


 चूंकि अच्छे अवशोषक अच्छे उत्सर्जक होते हैं। 


अत: अंधेरे कमरे में ले जाने पर यह हरे रंग के विकिरण का उत्सर्जन करता है। 


इसी प्रकार नीला व पाला रंग भी एक-दूसरे के पूरक हैं। 


अत: यदि नीले कांच के टुकड़े को गर्म करके अधर कमरे में ले जाया जाए तो वह पीला दिखाई पड़ेगा।


3 किरचाक के नियम से फ्रॉनहॉफर रेखाओं की व्याख्या की जा सकती है।


 किरचाफ के नियम की व्युत्पत्ति (Derivation of Kirehhotrs Law)

X xx

किराफ के नियम की व्युत्पत्ति के लिए माना किसी नियत ताथ T पर प्रौकोस्ट में 2 से 2 + d2, तरंगदैध्ध्य के de विकिरण विधमान हैं अब यदि इस प्रीयोट

नियत ताप । पर कोई ऐसा पिण्ड रखा जाए जिसकी स्पेक्टमी उत्सर्जन क्षमता E, एवं एकज

अवशोषण क्षमता विकिरण की भात्रा 2,d0 होगी। ऊष्मीय अवस्था में,

उत्सर्जित विकिरण की मात्रा = अवशोषित विकिरण की भात्रा


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